भारत के 8 रहस्यमय मंदिर
1. करनी माता का मंदिर
राजस्थान के बीकानेर में स्थित करनी माता का यह एक अनोखा मंदिर
है इस मंदिर में लगभग 20 हजार चूहे है इस मंदिर में इतने चूहे है की आप अपने पैर उठाकर
नहीं चल पाओगे | इस मंदिर की मान्यता है की अगर कोई भी चूहा आपके पैर से दब जाता है
तो इसे अपशकुन माना जाता है और अगर कोई चूहा आपके पैर के ऊपर से चला जाता है तो इसे
माता रानी की आपके ऊपर कृपा मानी जाती है इस मंदिर में लाखो की संख्या में लोग अपनी
मनोकामना पूरी करने आते है
2. कन्याकुमारी देवी
मंदिर
कन्याकुमारी को भारत का सबसे निचला छोर माना जाता है समुद्र
तट पर बसे इस मंदिर में माता पार्वती की कन्या रूप में पूजा होती है यह भारत के एक
मात्र ऐसा मंदिर है जहा पुरुषो को मंदिर में
प्रवेश करने से पहले अपनी कमर से ऊपर के कपडे उतरने पड़ते है प्राचीन मान्यताओ के अनुसार
इस जगह पर माता पार्वती का विवाह संपन्न न होने की वजह से बचे हुए दाल - चावल कंकड़-पत्थर
बन गए।
3. मेरू रिलीजन स्पॉट, कैलाश पर्वत
प्राचीन कथाओ के अनुसार स्वयं भगवान महादेव जी इस स्थान पर विराजमान
है यह समस्त धरती का सबसे ऊँचा स्थान है इस सबसे ऊँचे स्थान कैलाश मानसरोवर के पास
ही कैलाश स्थित और मेरू पर्वत स्थित हैं। इस
पुरे क्षेत्र को शिव लोक और देवलोक कहा जाता है
4. शनि शिंगणापुर
भारत में शनि देव के बहुत से मंदिर है लेकिन यह विश्व प्रसिद्ध
शनि मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर गांव में स्थित है इस मंदिर में
शनि देव की पाषाण प्रतिमा को एक संगमरमर के चबूतरे पर बिना किसी छत और गुम्बद के खुले
आसमान में रखा जाता है यहाँ के गांव में लोगो के घरो में न तो दरवाजे होते है और न
ही यहाँ कभी चोरी होती है
5. सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ मंदिर हिन्दुओ के एक पवित्र मंदिर है इस मंदिर की गिनती
12 ज्योतिर्लिंगों में पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में की जाती है इस मंदिर के बारे में
कहा जाता है की स्वयं चंद्रदेव ने इसका निर्माण किया था यह स्थान ईस्टन रहस्यमय है
की इसे अब तक 17 बार नष्ट किया जा चूका है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।
6. कामाख्या मंदिर
असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर को तांत्रिकों का
गढ़ कहा जाता है माता के 51 शक्तिपीठों में से एक इस पीठ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता
है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कि साल में
एक बार अम्बूवाची पर्व के दौरान मां भगवती रजस्वला होती हैं और मां भगवती की गर्भगृह
स्थित महामुद्रा (योनि-तीर्थ) से निरंतर 3 दिनों तक जल-प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाहित
होता है।
7. उज्जैन का काल भैरव मंदिर
भगवन भैरव को मांस और मदिरा पान के लिए जाना जाता है उजजैन के
इस काल भैरव मंदिर में भी भगवान की मूर्ति को मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है इसी शराब
को प्रसाद के रूप में यहाँ बनती भी जाती है इस मंदिर में भगवान भैरव के मुह के पास
शराब से भरा कटोरा लगते ही वह गायब हो जाता है इस भैरव मंदिर के बाहर साल के 12 महीने
और 24 घंटे शराब उपलब्ध रहती है।
8. ज्वाला देवी मंदिर
कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किमी की दूरी पर स्थित यह ज्वालादेवी
का मंदिर भी रहस्य से भरा हुआ मंदिर है इस मंदिर में माँ ज्वाला की ज्योत हजारो वर्षो
से जल रही है इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी। यह मंदिर मां सती के 51 शक्तिपीठों
में से एक है।
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